कुंडली और ग्रह दशा भारतीय ज्योतिष शास्त्र के महत्वपूर्ण पहलू हैं। यह विश्वास है कि हमारे जन्म के समय ग्रहों की स्थिति हमारे जीवन को प्रभावित करती है। आइए समझते हैं कि कुंडली और ग्रह दशा क्या हैं और इनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव हो सकता है।
कुंडली, जिसे जन्म पत्रिका या जन्म कुंडली भी कहते हैं, एक ज्योतिषीय चार्ट है जो व्यक्ति के जन्म समय और स्थान के आधार पर तैयार की जाती है। यह चार्ट व्यक्ति के जन्म के समय आकाश में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को दर्शाता है।
ग्रह दशा एक व्यक्ति के जीवन में ग्रहों की बदलती स्थिति और प्रभाव को दर्शाती है। यह समय अवधि है जब एक विशेष ग्रह व्यक्ति की कुंडली में प्रमुख प्रभाव डालता है।
कुंडली में पहले, छठे, और आठवें घर का अध्ययन कर यह समझा जाता है कि व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसा रहेगा। किसी विशेष ग्रह की दशा के दौरान, यदि वह ग्रह स्वास्थ्य से जुड़े घरों में प्रतिकूल स्थिति में हो, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
करियर और व्यवसाय के मामले में दशम (दसवें) घर को महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि कोई शुभ ग्रह इस घर में हो और उसकी दशा चल रही हो, तो व्यक्ति को करियर में सफलता मिल सकती है। वहीं, अशुभ ग्रह की दशा करियर में रुकावटें ला सकती है।
सप्तम (सातवें) घर का संबंध विवाह और साझेदारी से है। विवाह की संभावनाएं और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि को सप्तम घर और उस पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव से आंका जाता है।
दूसरे और ग्यारहवें घर का संबंध धन और संपत्ति से है। यदि इन घरों में शुभ ग्रह हों और उनकी दशा चल रही हो, तो व्यक्ति को वित्तीय लाभ हो सकता है। इसके विपरीत, अशुभ ग्रह आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
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